जीवन क्या है? (What is life)
तो फिर जीवन क्या है? (what is life) समझें, यदि आप एक छोटे से मकान में रह रहे हैं और चटनी रोटी खा रहे हैं तो भले ही आप गरीबी में जी रहे हैं लेकिन आप भीतर से प्रसन्न है, आनंदित है और आप स्वयं को गरीब भी नही मानते तब आप गरीब नहीं है, यही आपका जीवन है, दूसरी ओर एक अमीर व्यक्ति है जो सभी सुख सुविधाओं से युक्त है उसके पास तमाम तरह के भोग साधन हैं, तरह तरह के व्यंजन है किंतु फिर भी वह बेचैन और दुःखी है तो ये उसका जीवन है, यही उसका वास्तविक जीवन है।
इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी परिस्थिति क्या है, फर्क सिर्फ इस बात से पड़ता है कि आप कैसा महसूस करते हैं, क्योंकि किसी क्षण में आप जिस भाव में होते हैं, आप वही होते हैं और वही आपका जीवन है, यदि आप शांत मन से इस बात पर विचार करेंगे तो आप सहजता से इस बात को समझ पायेंगे. विचार करें जब आप किसी दुःख में होते हैं तो आप स्वयं दुःख बन जाते हैं, आपको लगता है कि दुःख और आप एक ही है वहीं दूसरी तरफ जब आप सुखी होते हैं तो सुख और आप के बीच कोई भेद नहीं होता आप सुख ही बन जाते हैं, क्या ऐसा नहीं होता है ? उस क्षण में वह सुख ही आपका जीवन होता है, सत्य तो यह है कि आप न तो सुख है और न ही दुःख आप स्वयं आनंद स्वरूप है, सुख और दुःख तो आते -जाते रहते हैं किन्तु आनंद सदा रह सकता है, इसका अर्थ यह हुआ कि आपका मन आपके साथ खेल खेलता है, जब मन कहता है कि आप दुःखी है तो आप दुःखी हो जाते हैं और जब मन कहता है तब आप सुखी हो जाते हैं. अतःमन पर कड़ी निगरानी रखें. आपके मन में प्रश्न उठेगा कि मन पर निगरानी कैसे रखें? सर्वप्रथम आप यह समझ लें कि आप मन नहीं हैं, आप मन के स्वामी हैं, मन को आपके अनुसार चलना चाहिए न कि आप मन के अनुसार चलें, मन को वश में करने के लिए आपको अभ्यास करना पड़ेगा तभी यह वश में आएगा, इसके लिए आप एक शांत स्थान पर आराम से बैठ जाएं, तीन बार गहरी श्वांस लें और छोड़ें अब सामान्य श्वांस पर कुछ देर तक ध्यान लगाएं अब मन में आते जाते विचारों को सिर्फ देखें उन्हें न अच्छा कहें न बुरा, कोई प्रतिक्रिया नहीं सिर्फ देखना है, इस अभ्यास को प्रतिदिन करें कुछ ही दिनों में आप देखेंगें कि मन आपके वश में आ रहा है तब आप अनुभव करेंगें कि आप छोटी - छोटी बातों से परेशान नहीं होते हैं और आनंद से भरे रहते हैं।
लेखक - प्रदीप असवाल

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