“शनि देव को तिल और तेल क्यों प्रिय है.”
दोस्तों, ये बात तो हम सभी जानते हैं कि शनिवार को काले तिल और तेल शनिदेव को अर्पित किए जाते हैं, लेकिन शायद आप ये नहीं जानते होंगे कि आखिर शनिदेव को ये दोनों वस्तुएं प्रिय क्यों है, इसके पीछे एक रोचक कहानी जुड़ी हुई है, चलिए आपको बताते हैं वो कहानी क्या है, इस कहानी को ध्यान से पढ़िए और दूसरे लोगों तक भी पहुंचाइए, ऐसा करने से आपको शनिदेव की कृपा प्राप्त होगी और आपके सभी कष्ट दूर होंगे. चलिए अब कहानी की और बढ़ते हैं—हनुमान जी ने सूर्यदेव से शिक्षा प्राप्त की थी, शिक्षा पूरी होने के बाद हनुमान जी सूर्यदेव को गुरूदक्सिणा देना चाहते थे, लेकिन सूर्यदेव ने हनुमान जी को कुछ भी दिए बिना जाने के लिए कह दिया, हनुमान जी तब भी गुरु दक्षिणा देने के लिए कहते रहे. यह वह समय था जब सूर्यदेव अपने पुत्र शनि देव से परेशान रहते थे, शनिदेव अपने पिता सूर्यदेव की बात नहीं सुनते थे और दूसरे लोगों को परेशान करते रहते थे, तब सूर्यदेव ने हनुमान जी से कहा यदि तुम कुछ देना ही चाहते हो तो कुछ ऐसा करो कि शनि वापस आ जाए और वह लोगों को परेशान करना छोड़ दे, तब हनुमान जी शनि लोक में प्रवेश करते हैं, शनिदेव से निवेदन करते हैं कि वह वापस अपने पिता के पास लौट आएँ, शनिदेव को विश्वास नहीं हुआ कि हनुमान इतनी आसानी से शनि लोक में प्रवेश कर सकते हैं, शनिदेव ने अब हनुमान जी को सबक सिखाने की ठान ली थी, वह तब हनुमान जी के कंधे पर चड़ गए और उनकी सारी शक्ति खींचने का प्रयास किया, जिससे हनुमान जी पर अपना प्रभाव जमाया जा सके, लेकिन ये क्या हनुमान जी पर तो कोई असर ही नहीं हुआ, शनिदेव को बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह क्या हो रहा है, वास्तव में हनुमान जी ने अपना शरीर विशालकाय बना लिया था, ताकि शनिदेव को पकड़ा जा सके, शनिदेव को अब असहनीय पीड़ा होने लगी, शनिदेव ने हनुमान से विनती की कि वह उन्हें छोड़ दें और साथ ही वादा किया कि वह अब से ऐसे किसी भी व्यक्ति को कष्ट नहीं पहुंचाएंगे जो हनुमान जी का भक्त होगा, यह सुनकर हनुमान जी ने शनिदेव को अपनी पकड़ से मुक्त कर दिया.
अब शनिदेव ने हनुमान जी से तिल और तेल की व्यवस्था करने को कहा ताकि वह उसका लेप लगाकर दर्द से मुक्ति प्राप्त कर सकें, हनुमान जी ने ऐसा ही किया, तब से ही शनिदेव को काले तिल और तेल अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है, इससे न केवल दर्द से मुक्ति मिलती है बल्कि इससे श्री राम और हनुमान जी के भक्तों को भी कष्ट से मुक्ति मिलती है. यही कारण है कि हर शनिवार को हनुमान मंदिर में भक्तों की बहुत भीड़ होती है, हनुमान और शनि देव के दर्शनों के लिए. शनिवार के दिन जो भी शनिदेव को हमेशा काले तिल और तेल अर्पित करता है उसे कभी भी शनि दोष नहीं होता है.
-प्रदीप धीमान
दोस्तों, यह कहानी आपको कैसी लगी टिप्पणी (comment) में बताइएगा, आप इसे साझा (Share) भी कर सकते हैं,Thanks.
दोस्तों, ये बात तो हम सभी जानते हैं कि शनिवार को काले तिल और तेल शनिदेव को अर्पित किए जाते हैं, लेकिन शायद आप ये नहीं जानते होंगे कि आखिर शनिदेव को ये दोनों वस्तुएं प्रिय क्यों है, इसके पीछे एक रोचक कहानी जुड़ी हुई है, चलिए आपको बताते हैं वो कहानी क्या है, इस कहानी को ध्यान से पढ़िए और दूसरे लोगों तक भी पहुंचाइए, ऐसा करने से आपको शनिदेव की कृपा प्राप्त होगी और आपके सभी कष्ट दूर होंगे. चलिए अब कहानी की और बढ़ते हैं—हनुमान जी ने सूर्यदेव से शिक्षा प्राप्त की थी, शिक्षा पूरी होने के बाद हनुमान जी सूर्यदेव को गुरूदक्सिणा देना चाहते थे, लेकिन सूर्यदेव ने हनुमान जी को कुछ भी दिए बिना जाने के लिए कह दिया, हनुमान जी तब भी गुरु दक्षिणा देने के लिए कहते रहे. यह वह समय था जब सूर्यदेव अपने पुत्र शनि देव से परेशान रहते थे, शनिदेव अपने पिता सूर्यदेव की बात नहीं सुनते थे और दूसरे लोगों को परेशान करते रहते थे, तब सूर्यदेव ने हनुमान जी से कहा यदि तुम कुछ देना ही चाहते हो तो कुछ ऐसा करो कि शनि वापस आ जाए और वह लोगों को परेशान करना छोड़ दे, तब हनुमान जी शनि लोक में प्रवेश करते हैं, शनिदेव से निवेदन करते हैं कि वह वापस अपने पिता के पास लौट आएँ, शनिदेव को विश्वास नहीं हुआ कि हनुमान इतनी आसानी से शनि लोक में प्रवेश कर सकते हैं, शनिदेव ने अब हनुमान जी को सबक सिखाने की ठान ली थी, वह तब हनुमान जी के कंधे पर चड़ गए और उनकी सारी शक्ति खींचने का प्रयास किया, जिससे हनुमान जी पर अपना प्रभाव जमाया जा सके, लेकिन ये क्या हनुमान जी पर तो कोई असर ही नहीं हुआ, शनिदेव को बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह क्या हो रहा है, वास्तव में हनुमान जी ने अपना शरीर विशालकाय बना लिया था, ताकि शनिदेव को पकड़ा जा सके, शनिदेव को अब असहनीय पीड़ा होने लगी, शनिदेव ने हनुमान से विनती की कि वह उन्हें छोड़ दें और साथ ही वादा किया कि वह अब से ऐसे किसी भी व्यक्ति को कष्ट नहीं पहुंचाएंगे जो हनुमान जी का भक्त होगा, यह सुनकर हनुमान जी ने शनिदेव को अपनी पकड़ से मुक्त कर दिया.
अब शनिदेव ने हनुमान जी से तिल और तेल की व्यवस्था करने को कहा ताकि वह उसका लेप लगाकर दर्द से मुक्ति प्राप्त कर सकें, हनुमान जी ने ऐसा ही किया, तब से ही शनिदेव को काले तिल और तेल अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है, इससे न केवल दर्द से मुक्ति मिलती है बल्कि इससे श्री राम और हनुमान जी के भक्तों को भी कष्ट से मुक्ति मिलती है. यही कारण है कि हर शनिवार को हनुमान मंदिर में भक्तों की बहुत भीड़ होती है, हनुमान और शनि देव के दर्शनों के लिए. शनिवार के दिन जो भी शनिदेव को हमेशा काले तिल और तेल अर्पित करता है उसे कभी भी शनि दोष नहीं होता है.
-प्रदीप धीमान
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