"नए इतिहास बनाती महिलाएं"
पिछले दिनों हमने अतंरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया, महिलाओं की उड़ान जारी है,आज महिलाएं वो कार्य कर रही है,जिनके बारे में पहले सिर्फ कल्पना ही की जाती थी. पहले महिलाओं को युद्धक भूमिकाओं में प्रवेश नहीं मिलता था, 2016 में पहली बार सरकार ने आईटीबीपी में महिलाओं को युद्ध की गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति दी, तभी बिहार की रहने वाली प्रकृति ने भारत तिब्बत सीमा पुलिस में जाने का मन बना लिया था, उन्होंने पहले प्रयास में केन्द्रीय सैन्य पुलिस बल में यूपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा पास की, वे जल्द ही आईटीबीपी में युद्धक भूमिका निभाने वाली पहली महिला अधिकारी बनेगी. ऐसे बहुत से उदाहरण जब महिलाओं ने कुछ अलग करने की ठानीं और वे उसमें सफल भी हुईं. 2016 में ही पहली बार भारतीय एयरफोर्स में तीन महिलाओं - अवनी चतुर्वेदी, भावना कंठ और मोहाना सिंह को फ्लाइंग ऑफिसर्स बनने का अवसर प्राप्त हुआ, तीनों को जल्द ही एअरफोर्स की फ्रंट लाइन फाइटर स्कवाड्रन में शामिल किया जाएगा, अभी तक सिर्फ आस्ट्रेलिया, जर्मनी और इजरायल में ही महिलाओं को युद्ध में भेजा जाता है, अब भारत ने भी इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं . लेकिन जितनी तेजी से महिलाएं आगे बढ़ रही है, उतनी तेजी से उनके विरुद्ध अपराध भी बढ़ रहे हैं, यह एक दु:खद पहलू है.
पिछले दिनों हमने अतंरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया, महिलाओं की उड़ान जारी है,आज महिलाएं वो कार्य कर रही है,जिनके बारे में पहले सिर्फ कल्पना ही की जाती थी. पहले महिलाओं को युद्धक भूमिकाओं में प्रवेश नहीं मिलता था, 2016 में पहली बार सरकार ने आईटीबीपी में महिलाओं को युद्ध की गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति दी, तभी बिहार की रहने वाली प्रकृति ने भारत तिब्बत सीमा पुलिस में जाने का मन बना लिया था, उन्होंने पहले प्रयास में केन्द्रीय सैन्य पुलिस बल में यूपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा पास की, वे जल्द ही आईटीबीपी में युद्धक भूमिका निभाने वाली पहली महिला अधिकारी बनेगी. ऐसे बहुत से उदाहरण जब महिलाओं ने कुछ अलग करने की ठानीं और वे उसमें सफल भी हुईं. 2016 में ही पहली बार भारतीय एयरफोर्स में तीन महिलाओं - अवनी चतुर्वेदी, भावना कंठ और मोहाना सिंह को फ्लाइंग ऑफिसर्स बनने का अवसर प्राप्त हुआ, तीनों को जल्द ही एअरफोर्स की फ्रंट लाइन फाइटर स्कवाड्रन में शामिल किया जाएगा, अभी तक सिर्फ आस्ट्रेलिया, जर्मनी और इजरायल में ही महिलाओं को युद्ध में भेजा जाता है, अब भारत ने भी इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं . लेकिन जितनी तेजी से महिलाएं आगे बढ़ रही है, उतनी तेजी से उनके विरुद्ध अपराध भी बढ़ रहे हैं, यह एक दु:खद पहलू है.
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