कर्म भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते कि फल की चिंता ना करें क्योंकि फल तुम्हारे अधिकार में नहीं तो भगवान यहां यह नहीं कह रहे हैं कि फल के बारे में सोचना ही नहीं है बल्कि वह कह रहे हैं कि फल की चिंता नहीं करनी है यदि फल की चिंता करोगे तो तुम फल की चिंता में उलझ जाओगे फिर तुम जो भी कर्म करोगे उसमें पूरी तरह से डूब नहीं पाओगे और जब उस कर्म में डूब नहीं पाओगे तो उस कर्म का आनंद नहीं ले पाओगे और जब कर्म में आनंद नहीं आएगा तो वह कर्म सफल कैसे होगा इसलिए कहा गया है कि कर्म करें फल की चिंता ना करें क्योंकि यदि फल की चिंता ना करोगे तब तुम सिर्फ कर्म करोगे और उस कर्म में सफलता भी अवश्य मिलेगी।