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Showing posts from September, 2024

कर्म

  कर्म भगवत गीता में  भगवान श्री कृष्ण कहते कि फल की चिंता ना करें क्योंकि  फल तुम्हारे अधिकार में नहीं तो भगवान यहां यह नहीं कह रहे हैं कि फल के बारे में सोचना ही नहीं है बल्कि वह कह रहे हैं  कि फल की चिंता नहीं करनी है यदि फल की चिंता करोगे तो तुम फल की चिंता में उलझ जाओगे फिर तुम जो भी कर्म करोगे उसमें पूरी तरह से डूब नहीं पाओगे और जब उस कर्म में डूब नहीं पाओगे तो उस कर्म का आनंद नहीं ले पाओगे और जब कर्म में आनंद नहीं आएगा तो वह कर्म सफल कैसे होगा इसलिए कहा गया है कि कर्म करें फल की चिंता ना करें क्योंकि यदि फल की चिंता ना करोगे तब तुम सिर्फ कर्म करोगे और उस कर्म में सफलता भी अवश्य मिलेगी।